Sri Lanka Election Results 2024: अनुरा कुमारा दिसानायके ने राष्ट्रपति पद पर जीत हासिल कर ली है
दक्षिणपंथी राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे (Gotabaya Rajapaksa) 2019 में श्रीलंका को "महान" बनाने के लिए सत्ता में आए थे। लेकिन ढाई साल बाद, दिवालिया अर्थव्यवस्था को लेकर नाराज लोगों ने उनके घर पर धावा बोल दिया। इसके बाद वे आधी रात को भाग गए। तब तक नेशनल पीपुल्स पावर एक सीमांत मार्क्सवादी पार्टी थी। आज, इसके नेता अनुरा कुमारा दिसानायके ने राष्ट्रपति पद जीत लिया है। वामपंथी नेता अनुरा कुमारा दिसानायके (AKD) अब श्रीलंका के नए राष्ट्रपति (Sri Lanka New President) होंगे।
श्रीलंका के राष्ट्रपति चुनाव में रविवार (22 सितंबर) को अभूतपूर्व दूसरे दौर की मतगणना के बाद निर्वाचन आयोग ने मार्क्सवादी नेता अनुरा कुमारा दिसानायके (Anura Kumara Dissanayake) को विजेता घोषित किया। मार्क्सवादी जनता विमुक्ति पेरामुना पार्टी के विस्तृत मोर्चे नेशनल पीपुल्स पावर (NPP) के उम्मीदवार 56 वर्षीय दिसानायके ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी समागी जन बालवेगया (SJB) के साजिथ प्रेमदासा को हराया है।
निवर्तमान राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे अधिकतम मत पाने वाले शीर्ष दो में शामिल होने में विफल रहने के बाद पहले दौर में ही बाहर हो गए। एनपीपी ने बताया कि दिसानायके सोमवार (23) को राष्ट्रपति पद की शपथ लेंगे। इससे पहले चुनाव आयोग ने दूसरे दौर की गिनती का आदेश दिया था।
शनिवार (21 सितंबर) को हुए आम चुनाव में किसी भी उम्मीदवार को विजेता घोषित करने के लिए आवश्यक 50 प्रतिशत से अधिक मत हासिल नहीं हुए थे। दिसानायके श्रीलंका के नौंवें राष्ट्रपति होंगे। श्रीलंका में कभी भी कोई चुनाव मतगणना के दूसरे दौर तक नहीं पहुंचा है। यहां प्रथम वरीयता मतों के आधार पर हमेशा कोई उम्मीदवार विजेता बनता रहा है।
कौन हैं अनुरा कुमारा दिसानायके?
अनुराधापुरा जिले में रहने वाले अनुरा कुमारा दिसानायके के पिता एक खेतिहर मजदूर थे। यह एक उल्लेखनीय बदलाव है। श्रीलंका ने मात्र दो साल में ही बहुत आसानी से अति दक्षिणपंथ से अति वामपंथी रुख अख्तियार कर लिया है। कोलंबोकी सत्ता अब मजदूर वर्ग के हाथों में चली गई है। 56 वर्षीय अनुरा बेहद साधारण पृष्ठभूमि से आने वाले श्रीलंका के दूसरे राष्ट्रपति हैं। उनसे पहले रणसिंघे प्रेमदासा 1988 में निम्न वर्ग की पृष्ठभूमि से आने वाले पहले राष्ट्रपति थे।
अनुरा 1990 के दशक में द्वीप पर साम्यवाद के विचार को आगे बढ़ाने वाले छात्र नेता के रूप में प्रमुखता से उभरे। तब तक, जेवीपी के करिश्माई मार्क्सवादी नेता रोहाना विजेवीरा की मौत हो चुकी थी। जेवीपी कभी सबसे अधिक भयभीत और प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन था। बाद में सत्ता में आने के लिए लोकतांत्रिक तरीकों को आजमाने का वादा करते हुए मुख्यधारा की राजनीति में लौट आया था।
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उन्हें पहला ब्रेक साल 2000 में मिला जब उन्होंने एक संसदीय सीट जीती। कुछ साल बाद, उन्हें राष्ट्रपति चंद्रिका भंडारनायके कुमारतुंगा सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाया गया। एक साल बाद उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। हाल ही में वे संसद में विपक्ष के मुख्य सचेतक थे। पिछले 24 वर्षों में संसद में प्रवेश करने के बाद से वे केवल दो पदों पर रहे हैं।
AKD के नाम से मशहूर 56 वर्षीय दिसानायके का शीर्ष पद पर पहुंचना 50 साल पुरानी पार्टी जनता विमुक्ति पेरामुना के लिए एक उल्लेखनीय बदलाव है। यह लंबे समय से हाशिये पर थी। वह श्रीलंका में मार्क्सवादी पार्टी के पहले नेता हैं जो राष्ट्र के प्रमुख बने हैं। साल 2022 से एनपीपी की लोकप्रियता में तेजी से उछाल आया। 2019 के पिछले राष्ट्रपति चुनाव में उसे सिर्फ करीब तीन प्रतिशत वोट मिले थे।
भारत से कैसा है रिश्ता?
दिसानायके उत्तर मध्य प्रांत के ग्रामीण थम्बुटेगामा से हैं। उन्होंने कोलंबो उपनगरीय केलानिया विश्वविद्यालय से विज्ञान में ग्रेजुएट किया है। वह 1987 में ऐसे वक्त में एनपीपी की मातृ पार्टी जेवीपी में शामिल हुए थे जब उसका भारत विरोधी विद्रोह चरम पर था। जेवीपी ने 1987 के भारत-श्रीलंका समझौते का समर्थन करने वाले सभी लोकतांत्रिक दलों के कई कार्यकर्ताओं की हत्या कर दी थी।
राजीव गांधी-जे आर जयवर्धने समझौता देश में राजनीतिक स्वायत्तता की तमिल मांग को हल करने के लिए प्रत्यक्ष भारतीय हस्तक्षेप था। जेवीपी ने भारतीय हस्तक्षेप को श्रीलंका की संप्रभुता के साथ धोखा करार दिया था। हालांकि, इस साल फरवरी में दिसानायके की भारत यात्रा को एनपीपी नेतृत्व के भारत के प्रति दृष्टिकोण में बदलाव के रूप में देखा जा रहा है, जो विदेशी निवेश हितों के साथ तालमेल व्यक्त करने का संकेत देता है।